शहर में हो रहे धार्मिक अनुष्ठान, करुणा बौद्ध विहार में 21 मई से शुरू होगी दीक्षा प्रक्रिया 10 दिन सुबह 4 बजे करेंगे ध्यान, मोबाइल से रहेंगे दूर

May 16, 2024 - 12:35
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शहर में हो रहे धार्मिक अनुष्ठान, करुणा बौद्ध विहार में 21 मई से शुरू होगी दीक्षा प्रक्रिया 10 दिन सुबह 4 बजे करेंगे ध्यान, मोबाइल से रहेंगे दूर

अनमोल संदेश, भोपाल

भगवान बुद्ध का जन्म, निर्वाण और मोक्ष एक ही दिन हुआ था, जिसे त्रिगुण पावन पर्व कहा जाता है। यह बुद्ध पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार यह 23 मई की मनाया जाएगा। इसके उपलक्ष्य में शहर के बौद्ध विहारों में धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो गए हंै। 

   कोलार स्थित त्रिशरण बौद्ध विहार में महापरित्राण पाठ, वंदना और धम्मदेशना के साथ 15 बच्चों और दो बुजुर्गों की श्रामणेर दीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह दीक्षा शिविर 10 दिन बुद्ध पूर्णिमा तक चलेगा। त्रिशरण बुद्ध विहार के भदंत प्रज्ञाशील महाथेरो ने बताया कि श्रामणेर शिविर में साधक को होशपूर्वक जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। साधक को सुबह 4 बजे उठना होता है। उन्हें आनापानसति ध्यान कराया जाता है। 10 दिन के वे मोबाइल और गैजेट्स से दूर रहेंगे। भिक्षु एक विशेष पात्र (भगवान बुद्ध के काल से चल रही परंपरा) में भोजन करते हैं। उन्होंने बताया कि श्रामणेर दीक्षा बौद्ध धर्म में बेसिक आध्यात्मिक शिक्षा है। इसमें बच्चों को स्कूल शिक्षा के साथ आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती है।

प्रवज्जा के बाद आध्यात्मिक की दी जाती है शिक्षा 

महाथेरो कहते हैं कि ऐसे साधक को श्रामणेर कहा जाता है जो विहार के सभी नियमों का पालन करते हैं। प्रवज्जा के बाद आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती है। उसके बाद चीवर दान दीक्षा पूरी होगी। यह सब होने के बाद बच्चे चाहें तो धम्म की शिक्षा के लिए बौद्ध विहारों और महाविहारों में जाकर शिक्षा ले सकते हैं।

24 घंटे में एक बार भोजन

महाथेरो ने बताया कि शिविर में जो साधक भगवान बुद्ध के द्वारा दी गई शिक्षा को ग्रहण करता है, उसका जीवन संयमित और समृद्ध होता है। साधकों को 24 घंटे में एक बार भोजन दिया जाता है। वह भी दोपहर 12 बजे के पहले। उन्हें मंगल मैत्री पाठ, दस शील की शिक्षा सहित अन्य तरह की धम्म शिक्षा दी जाती है, जो उच्चतम ध्यान की विधि सीखना चाहते हैं, उन्हें बाद में अलग से शिक्षा दी जाती है। इस बार दो ऐसे साधक ऐसे हैं, जिनकी उम्र 65 और 70 वर्ष है।

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